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एक गांव में एक मोहन नाम का एक किसान रहता था। वह किसान अपने पतिनी और अपने बेटा रामू के साथ रहता था। रामू जन्म से ही विकलांग था राम चल नहीं पाता था। मगर उनके पिता मोहन और उसकी माता मीना वह दोनों अपने बेटे को बहुत प्यार करते थे। और मोहन के पास खेत का छोटा सा टुकड़ा भी था। पिछले 3 साल से बारिश ना होने के कारण मोहन के गांव में सूखा पड़ा हुआ था। इसीलिए वहां के लोगों को जीने की जदु जहेद करनी पड़ती थी। मोहन सारा दिन मजूरी करता वह अपने परिवार की रोजी-रोटी चलाता था। आमदनी कम होने के कारण उसका खर्चा नहीं चलता था। मीना ने कहा कि ऐजी सुनो घर में पकाने के लिए कोई चीज नहीं बची है अब क्या खाया जाएगा। इस पर मोहन बोला हां हमें पता है मगर मैं क्या करूं। तो मीना बोलि अगर आप बुरा ना माने तो एक बात कहूं। तो फिर मोहन ने कहा बोलो क्या कहते हो। तो मीना बोली वह जो हमारे जेवर हैं। उनको कहीं गिरही रख देते हैं। और फिर उन पैसों से हम एक गाय ले आते हैं। और उस गाय का दूध बेचेगे और घी भी बनाएंगे। तो मोहन ने कहा यह तुम ठीक कह रही हो। मैं कल ही शहर जाकर शहर से गाय ले आऊंगा।
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फिर
दूसरे दिन मोहन और मीना और उसका
बेटा रामू। वह तीनों ने शहर में जानवरों की बाजार गए। रामू अपने पिता के
कंधो पर बैठ गया। और
मोहन गाय के एक व्यापारी के पास गया। और पूछा कि
सेठ जी इस गाय को कितने की डेंगे। तो सेठ जी ने कहा कि पूरे
बीस हजार। क्योंकि यह गाय बहुत सारा दूध देती है
इसीलिए पूरे बीस हजार। फिर मोहन ने कहा सेठ जी मेरे पास इतने पैसे नहीं है। आप
पाॅच हजार की देंगे क्या। तो सेठ जी गुस्सा हो गये। और गुस्से में बोले अक्कल नहीं आती तुमको पहुंच हजार में गाय लेने आ गए। अगर तुम्हारी औकात नहीं थी तो यहां पर आए क्यों आये चले जाओ यहां से। मोहन दुखी होकर हो गया और दूसरे
व्यापारी से पूछा मगर कोई भी उसको गाय देने को
तैयार नहीं हुआ। फिर
अचानक एक आदमी ने
मोहन को
पुकारा उसने कहा मेरे पास एक है। वह गाय बहुत दूध देती है। मगर वह एक पैर से विकलांग है। जो अगर तुम उसको चाहो तो तुम उसको खरीद सकते हो। वह भी पाॅच हजार में बोलो खरीदोगे। तो मोहन सोचने लगा फिर मीना बोली लगता है कि हमको यह गाय खरीद लेना चाहिए। तो मोहन उसको पैसा दिया और फिर गाय को लेकर मोहन अपने गांव की ओर चल दिया।
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और फिर
रास्ते में एक
आदमी मिला।और
कहा अरे मोहन तुम ये क्या ले आए तीन पैर वाली गाय। मोहन ने बोला इस गाय को हम ने खरीदा है। मैं इसका दूध बेचकर अपना खर्च चलाएंगे। तो वह आदमी बोला क्या तुम इसका दूध बच्चोंगे। पिछले
1 साल से इस गाय को कोई भी नहीं
खरीदा है। क्योंकि यह
सिर्फ तीन पैर की है। उस व्यापारी ने तुमको ठग लिया है। मेरा कहा मानो तुम इस गाय को वापस कर दो इसी में
तुम्हारी भलाई है। तो फिर
मीना बोली अब इसको वापस नहीं करेंगे तीन पैर की हैं तो क्या। हमारा बेटा रामू भी तो एक पैर से
विकलांग है। फिर भी उससे
प्यार करते हैं हमने उसको भगा तो नहीं दिया। फिर इस गाय को क्यों भला छोड़ दे। अब नसीब में जो होगा उसे देख लेंगे। और फिर वह गाय को लेकर अपने घर आ गए। उसी दिन से रामू उस गाय का बड़ा ख्याल रखने लगा हुआ था। रमू वक्त पर गाय के चारा डालता पानी पिलाता था। और इधर मोहन मीना से बोले बहुत बदनसीब है हमारी किस्मत बेटा तो विकलांग है ही
गाय भी
विकलांग निकली। फिर 1 दिन
रामू एक बर्तन में गाय को पानी
पिला रहा था। और गाय के पीठ पर हाथ घुमा रहा था।
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गाय वह
पानी पिया और
चमत्कार होने लगा। उस
बर्तन में
सोने के
सिक्के आ गए। और फिर रामू ने देखा और अपने माता-पिता को बुला लाया। और उनको या हकीकत बताई। वो तीनो ये देखकर बहुत
खुश हुए। मोहन उन सिक्को को लिए। और वह शहर जाकर पांच पैसे खरीद लाया। और उनका दूध बेचने लगा और जब भी किसी
गरीब को पैसों की
जरूरत पड़ती वह लोग मदद करते। और फिर कुछ दिन बाद यह बात गांव के मुखिया ने सुनी तो वह दो
आदमियो को
भेज करजबरदस्ती उस गाय को उठवा लिया। और मुखिया ने उस गाय को पानी
पिलाया और उसने धान कुछ भी नाही दिया। उसने
बार-बार कोशिश की मगर कोई भी फायदा नही हुआ। वह सोच गया कि गाय सिर्फ सोने के
सिक्के मोहन के घर ही देगी। उसने गाय लौटाते हुए कहा। मुझको माफ कर दो मोहन और
धन है वह
तुम्हारा बेटा जो विकलांग गाय की सेवा की। तो सोने के सिक्के सिर्फ तुम्हारे घर ही गाय देगी। एक नेकी का फल दूसरा कोई भी नहीं उठा सकता।
शिक्षा दोस्तों अगर नेकी से काम लेंगे तो उसका फल हमको जरूर मिलेगा।
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