stailish nadee kee kahaanee.जादुई नदी की कहानी।
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हेलो दोस्तों आज हम बताएंगे एक गरीब व्यापारी की कहानी के बारे में। एक गांव में एक व्यापारी रहता था। वह व्यापारी अपने आस पास जितने भी गांव थे। उन सभी गांव में जाकर हर घर में जाकर बहुत सारी चीजें भेजता था। जैसे चप्पल कपड़े कंगन और बर्तन ऐसी बहुत सारी चीजें अच्छी-अच्छी बेचता था। और उसी चीजो को बचे हुए पैसों से उसके परिवार की रोजी-रोटी चलती थी। वह बहुत खुश था वह गांव से लेकर शहर तक यह सब सामान लाने और ले जाने के लिए उसके पास एक गधा था। व्यापारी चीजों को गांव में बेचता था। एक गिव उस व्यापारी को पता चला कि नमक में ज्यादा फायदा होता है। तो वह व्यापारी बहुत सारा नमक खरीद लिया। और उस नमक को एक पोटली में बांध लिया और उस पोटले को गधे के पीठ पर रख दिया। और वह पोटला बहुत वजन था। भारी पोटले को लेकर चलने में उसकी यजमान व्यापारी के साथ चल रहा था। दोपहर का समय था और सूरज की गर्मी बहुत पड़ रही थी।
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गधे को यह गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई। वह बहुत थक गया उसके पैर में दर्द भी होने लगी थी उसके प्यास भी लगने लगी थी। चलते हुए उसने रास्ते में देखा कि एक नदी है। पानी को देखकर वह पानी की ओर बढ़ने लगा। उस गधे को पानी पीने की तकलीफ हो रही थी। क्योंकि उसके पीठ पर एक बोतल रक्खा था। मगर उसको पानी पीकर अपनी प्यास बुझानी थी। इसलिए वह एक कदम आगे बढ़ गया। और फिर जब वह आगे के पैर को मोड़ा बैठने के लिए और पानी पीने के लिए तभी गधा फिसल गया। और उसकी पीठ पर का पोटला फिसल कर पानी में गिर गया। गधा बहुत परिश्रम कर रहा था। अपनी जान बचाने के लिए पानी में पैर मार रहा था। मगर तब भी डूबा नहीं। पोटला पानी मे लगने के बाद में हल्का हो गया। इसके कारण गधा नदी के किनारे आ गया। और आसानी से उठ गया और सोच में पड़ गया। कि इस पोटले का वजन हल्का कैसे हो गया। इस विषय में बहुत देर तक सोचता रहा कि या जादू कैसे संभव हुआ।
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ऐसा दिमाग लगाया गधे को इस बात का पता ही नहीं था। कि नमक पानी में पढ़ते ही पिघल जाता है। गधे ने सोचा कि पानी में कोई जादुई शक्ति है। गधे ने अपने मन में है उस पानी को धन्यवाद कहा उसकी जान बचाने के लिए। गधे ने सोचा कि जो अगर पोटला हल्का नहीं होता तो मैं डूब कर मर जाता। गधा यह भी सोचा कि उस पानी के वजह से ही आज जिंदा है। मगर उसकी यह सोच गलत थी। फिर दूसरे दिन उस व्यापारी ने शहर से कपड़े लिए। और उन कपड़ों का पोटला बांधकर गधे की पीठ पर रख दिया। और गधा और व्यापारी अपने गांव की ओर चल दिए। नमक मे व्यापारी को बहुत नुकसान हुआ था। तो व्यापारी ने सोचा कि वह कपड़े बेचेगा और इस बार मुनाफा कमाएगा। इस बार भी कपड़ो का पोटला गधे के लिए बहुत भारी था। फिर से उस गधे को इस पोटले को उठाने के लिए थकान और पैदा दर्द और प्यास लगने लगी थी।
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और फिर उसने सोचा कि वह अपनी प्यास फिर से उसी नदी में जाकर बुझाएगा। वह उसी नदी में जाकर जानबूझकर नदी में डुबकी लगाई। उसको या देखना था कि क्या जादू होता है। उसने सोचा कि पानी में पोटला लगने से पोटला इस बार भी हल्का हो जाएगा। मगर पोटला पानी में लगने के बाद में बहुत भारी हो गया। कपड़े पानी मे लगने के कारण उन कपड़ों का वजन बढ़ गया। उस कजरे ने सोचा वजन पोटले के कारण वह पानी में डूब भी सकता है। इसीलिए वह डर के मारे जोर से सोर करने लगा। और गधे की आवाज सुनकर व्यापारी पानी में छलांग मारी। अपने गधे को बचाने की कोशिश की। और गधे को बाहर निकाला। और फिर पूरा दिन गधा चिंतित होकर बैठ गया। और फिर गधे ने ठानलिया कि वह कभी भी उस जादुई नदी का विश्वास नहीं करेगा।
शिक्षा हमें काम चोरी करने का नहीं सोचना चाहिए नहीं तो बहुत सारी परेशानियों से झेलना पड़ता है।
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