jaaduee murgee kee kahaanee.जादुई मुर्गी की कहानी।
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एक गांव में राजू नाम का एक लड़का रहता था वह किसान परिवार का था। वह अपने माता-पिता और अपनी छोटी बहन के साथ रहता था। जब उसके पिता खेत जोत रहे होते तब वह अपनी मुर्गियों की देखभाल करता था। और उनको खाना खिलाता था। इस तरह वह अपने पिता के घर के लिए पैसे कमाने के मदद करता था। राजू को मुर्गियों की देखभाल अच्छे से करनी पड़ती थी। कि कहीं कुत्ता उनको उठा ना लै जाए। उस उसमें से एक मुर्गी के तीन बच्चे थे। वह इतने बड़े नहीं हुए थे कि वह खुद अपना खाना ढूंढ सकें। मगर आत्मविश्वास के साथ वह उनको कुत्तों से बचा तो सकता है। राजू मुर्गियों के बच्चों को उनकी मांओं के साथ दाना खिलाने ले जाता था। एक दिन एक कुत्ते की नजर उन बच्चों पर पड़ गई। उस कुत्ते ने कम से कम शाम का भोजन बनाने को सोचा। जब राजू उन बच्चों की थोड़ी दूरी पर था तब वह कुत्ता अचानक उन बच्चों पर हमला किया। वाह बच्चे जोर से चीखने लगे और इधर-उधर दौड़ने लगे।
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मगर कुत्ते ने उनमें से एक बच्चे को अपने मुंह में डालकर भाग पड़ा। राजू तभी एक पत्थर उठाकर कुत्ते के मुंह पर मारा। पत्थर जा कुत्ते के मुंह पर लगा। तो वह बच्चा कुत्ते के मुंह से छूट कर कुआं में जाकर गिर गया। वह कुआ बहुत गहरा था। पर वह बच्चा के पैर पर चोट लगने के कारण वह बच्चा तैर नहीं पा रहा था। राजू उस बच्चे को रस्सी और बाल्टी से उसको बाहर निकाल लाया और तुरंत उसको घर ले गया। मुर्गी के बच्चे का पैर घायल था इसी चल नहीं पाता था। राजू ने उसके पैर पर पट्टी बांधी। और उसी दिन से वह उन मुर्गियों को घर से बाहर लाना बंद कर दिया। फिर राजू ने उस बच्चे से कहा मैंने अपनी जिद की वजह से तुम्हारी जान खतरे में डाली। ऐसा कहकर राजू उस बच्चे के सामने रोने लगा। और राजू उसी दिन से उस बच्चे की खूब देखभाल की। और प्यार दिया जब तक वह बच्चा बड़ हो गया। बच्चा भी उसकी जान बचा लेने के कारण राजू को बहुत प्यार करता था।
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उस बच्चे ने यह सोचा था कि वह जो अगर बड़ा होकर अंडा देगा तो वह राजू का यह कर्ज उतार पाएगा। और वह बच्चा भगवान से प्रार्थना किया और कहा कि राजू एक अच्छा इंसान है। उसकी सारी परेशानियां दूर कर दो उसको धनवान बना दो। फिर एक दिन राजू के पिता राजू से बोले राजू बेटा हमें खेती में बहुत नुकसान हुआ है। मैं कर्ज उतारने के लिए इन मुर्गियों को बेचना चाहता हूं। राजू दुखी होकर बोला पिता जी इतने दिन से हम उनके अंडे बेचकर कुछ पैसे कमा रहे हैं। इन्हें मत बेचिए। तो उसे के पिताजी बोले मैं तुम्हारी तकलीफ समझता हूं। बेटा जो अगर हम सारे कार्ड्स चुका दिए तो हम नमक रोटी ही खाकर जीवित रह सकते हैं। तो राजू ने कहा पिताजी मैं आपको दुखी नहीं देख सकता हूं। राजू मुर्गियां बेचने को तैयार हो गया। और बोला कृपया उस एक मुर्गी को मत बेचिए। उसी दिन से वह मुर्गी राजू को बेहद प्यार करने लगी। उसने भगवान से फिर प्रार्थना की। कृपया मुझमे अंडे देने की शक्ति प्रदान करें। ताकि मैं राजू के परिवार की मदद कर सकूं।
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कुछ दिनों बाद मुर्गी अंडा देना शुरू कर दिया। यह देखकर राजू बहुत खुश हुआ मुर्गी का वह दिया हुआ अंडा सोने का अंडा था। तो राजू ने कहां क्या यह मुर्गी सोने का अंडा दे सकती है। अही मेरा दिमाग ठीक काम नहीं कर पा रहा। क्या यह ऐसा मुझे ही दिख रहा है। फिर उसने कहा जब तक या मुर्गी फिर से अंडा ना दे तब तक मुझको यह बात किसी को बताना नहीं चाहिए। फिर मुर्गी और अंडा दिया वाह दूसरा भी अंडा सोने का था। राजू दोनों सोने के अंडे देख कर बहुत खुश हुआ। और कहा तुम हमारे घर में भगवान के रूप में आई हो। उसने अपने माता-पिता और अपनी बहन को बुलाकर उनको वह सोने के अंडा दिखाया। और कहा इस सुनहरी मुर्गी ने हमारी सारी परेशानियां दूर कर दी। इसने यह सोने के अंडा दिया है। वाह सभी देखकर बहुत खुश हो गए। और फिर मुर्गी ने और सोने के अंडे दिए। उन सभी अंडों को बेचकर वह अपनी बेची हुई मुर्गी छोड़ा लाए। और उनका खर्च भी चलने लगा। मिले पैसों से वह अपनी जिंदगी गुजारी। और उन लोगों की अच्छी तरह से सेवा की।
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