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Story of red chicken-लाल मुर्गी की कहानी


Story of red chicken-लाल मुर्गी की कहानी
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एक गांव में एक विनोध नाम का एक लड़का अपने पिता के साथ रहता था। विनोध के घर में बहुत सारी मुर्गियां थी। विनोध अपनी मुर्गियों को दाना डालता था। और विनोध के पास एक लाल मुर्गी भी थी। वह उस मुर्गी को बहुत पसंद करता था। और वह सभी मुर्गी अंडा देती थी। और विनोध के पिता उन अंडो को बेचकर घरेलू सामान लाते थे। और एक दिन लाल मुर्गी ने अंडा दिया। विनोध ने देखा तो अंडो को विनोध ने उठाया और अपने पिता के पास अंडा लेकर गया। और बोला पिताजी कृपया अपने साथ ये अंडे मत ले जाएं बजा को बेचने। यह लाल मुर्गी के अंडा है। इन अंडो को यही मेरे पास छोड़ दीजिए। मैं इनके बच्चे देखना चाहता हूं। विनोध के पिता मान गए और बोले मैं इन अंडो को नहीं लै जाऊंगा। मैं इनको तुम्हारे पास ही छोड़ जाऊंगा। विनोध अंडा लिया और बहुत खुश हुआ।

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विनोध ने अंडो की ठीक तरह से देखभाल की। और फिर एक दिन तीनों अंडो  में से बच्चे निकलने लगे। और विनोध देखकर बहुत खुश हुआ। और विनोध उन बच्चों को लिया और अपने पिताजी के पास ले गया। और जब विनोध के पिताजी ने देखा तो वह भी बहुत खुश हुए। विनोध उन बच्चों कि ठीक तरह से देखभाल की। विनोध अपने लाल मुर्गी के बच्चों को कुत्तों से बचा कर रखता था। विनोध कभी भी बच्चों को घर से बाहर कभी नहीं लै जाता था। विनोध सोचता था कि अगर मैं इन बच्चों को घर से बाहर ले गया तो कुत्ता बच्चों को पकड़ कर खा जाएगा। इसीलिए विनोध अपने बच्चों को घर पर ही रखता। विनोध सारे बच्चों को घर में ही दाना खिलाता घर में ही घूमते थे। तो तभी एक दिन एक व्यापारी आया। उस व्यापारी ने विनोध के पिता से बोला अरे भाई तुम्हारे पास लाल मुर्गी है क्या।

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जो अगर हो तो बताइए मैं तुमको मुंह मांगे पैसे दूंगा। आप चाहे जितने मांगेंगे हम आपको उतने पैसे दूंगा। तो विनोध के पिता ने कहा हमारे पास लाल मुर्गी के बच्चे और लाल मुर्गी भी है। चलो मैं तुमको वह लाल मुर्गी और लाल मुर्गी के बच्चे दिखाता हूं। यह जब विनोध ने देखा तो उसने सोचा कि अब तो लाल मुर्गी के बच्चे और लाल मुर्गी को बेच देंगे। विनोध अपने बैग से नीली सलाई निकाली और लाल मुर्गी और लाल मुर्गी के बच्चों पर डाल दिया। और लाल मुर्गी और उनके बच्चे नीले कलर के हो गए। और फिर व्यापारी ने देखा तो उसने बोला। यह तो नीले कलर के बच्चे और मुर्गी है। तुम मुझको ठगना चाहते हो। यह कहकर व्यापारी वहां से चला गया। इस तरह से विरोध अपनी लाल मुर्गी और लाल मुर्गी के बच्चों को बचा लिया। और फिर विनोध अपने पिता के पास आया।
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और बोला पिताजी हमें माफ कर दो। मैंने ही लाल मुर्गी उनके बच्चों को नीले कलर से रंग दिया है। मैं रंगना नहीं चाहता था। मगर मैं क्या करता जो मैं इनको रंगता नहीं तो आप उनको बेच लेते। इसीलिए मैंने उनको नीले कलर से रंग दिया था। पिताजी आप वादा कीजिए कि आप इन लाल मुर्गी और लाल मुर्गी के बच्चों को कभी नहीं बेचेगे। पिताजी आप जो भी कहेंगे वो मै मानूगा। मगर इन बच्चों को मत बेचिएगा। विनोध के पिता को विनोध पर बहुत प्यार आया। उन्होंने कहा विनोध बेटा मैं तुम्हारी बात समझ चुका हूं। मैं अब लाल मुर्गी और लाल मुर्गी के बच्चों को अब कभी भी नहीं बेचूगा। और फिर विनोध और विनोध के पिताजी और लाल मुर्गी और लाल मुर्गी के बच्चे वाह सभी खुशी- खुशी  रहने लगे। 

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