Magic umbrella story-जादुई छाता की कहानी
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एक गांव में एक मोहन नाम का एक 10 साल का लड़का रहता था। वह लड़का बहुत दयालु और बहुत बोला था। मोहन के कक्षा के बच्चे मोहन के भोले पन का बहुत फायदा उठाते थे। कोई भी लड़के को कोई भी सामग्री की जरूरत पड़ती तो वह सभी मोहन से ही लेते थे। और मोहन सभी बच्चों की हेल्प करा करता था। एक दिन मोहनकी माता ने अपने घर पर खीर बनाई। तो मोहन खीर अपने घर पर खाई। और मोहनकी माता ने एक तेफेन मे पुक करके मोहन के बैग मे रख दिय। और फिर मोहनस्कूल गया तो टीचर मोहनकेकक्षा में पढ़ा रहे थे। सभी बच्चों को खीर की महक आई। तो सारे बच्चों ने मोहन के बैग में देखा तो खीर का टिफिन रखा हुआ है। तो जब स्कूल में इंट्रोल हुआ तब मोहन के कक्षा के सारे बच्चे मोहन की खीर निकाल कर खा गए।
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और सारे बच्चे फील्ड में जाकर खेलने लगते हैं। और तभी मोहन आकर भोजन करने जाता है। तब वह तिफेन निकालता है। तो देखता है कि उसका तिफेन काली रखा हुआ था। तो तो मोहनने कहा कोई बात नहीं मेरे दोस्त तो है। फिर दूसरे दिन मोहन ने देखा कि एक लड़की चिंतित बैठी है। तो मोहन ने कहा कि सीमा तुम इतनी चिंतित क्यों बैठी हो। तो सीमा बोली कोई मेरा तिफेन निकाल लिया है। मेरे बहुत तेजी से भूख लगी है। तो मोहन बोला कि मेरेपास एक सेब रखा है। तुम उसको खा लो। मोहन ने सीमा को अपना सेव दे दिया। और सीमा उसको खुशी खुशी खा लिया। और फिर दूसरे दिन छुट्टी का दिन था। सारे बच्चे गांव में मैदान में खेल रहे थे। और तभी बहुत जोर बारिश होने लगी। और सारे बच्चे अपने-अपने घर भागने लगे। और मोहन भी अपने घर की ओर भाग तभी मोहन को एक परी मिली।
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और उस परी ने कहा मोहन बेटा तुम भीगे जा रहे हो। आओ मेरे छाता के नीचे आ जाओ। यह तुम को भीगने नहीं देगा। तो मोहन बोला मैं तुम्हारे छाता के नीचे कैसे आ सकता हूं। मैं जो अगर छाता के नीचे आऊंगा तो तुम भीग जाओगी। तो परी ने कहा मैं नहीं भीगूगी। मेरे पास बहुत सारे छाते है। तुम यह छाता लो मैं यह तुम्हारी भलाई के लिए तुमको दे रही हूं। या जादुई छाता है। इस छाता से जो भी कहोगे वही करेगा। यह कहकर परी छाता मोहन को दिया और गायब हो गई। और फिर वह छाता मोहर के ऊपर तन गया। और मोहन अपने घर की ओर चल दिया। जब मोहन अपने घर पहुंचा तब वह छाता अपने आप बंद हो गया। फिर मोहन ने कहा ऐसे मौसम में समोसे खाने का जी करता है। तो छाता मोहन के हाथ में आ गया और दूसरे हाथ में समोसा आ गई। मोहन के हाथ में अपने आप समोसे आए।
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यह बात उसका दोस्त राजू ने देखा। तो रात में राजू छातेको चुरा लिया। और फिर वह अपने घर ले गया। और सुबह हुई तो मोहन ने देखा कि उसका छाता गायब है। तो वह अपने घर के बाहर आया तो उसने देखा। कि राजू उसके छातासे खेलता था। मोहन उसके पास गया। और बोला राजू या छाता तो मेरा है। तुम्हारे पास कैसे आया। तो राजू बोला जैसे सीमा का तिफेन हमारे पास आया। वैसे ही यह छाता भी हमारे पास आया। या छाता जादुई है मुझको बताओ कि यह छाता खुलता कैसे है। जैसे ही राजू छाता आगे किया वैसे ही छाता मोहन के पास आ गया। और बोला मैं मोहन का छाता हूं। मोहन के पास ही रहूंगा। तुम यहां से चले जाओ। नहीं तो तुम्हारी बहुत पिटाई करूंगा। मोहन वह छाता लेकर अपने घर आ गया। और छाता और मोहन दोनों खुशी-खुशी रहने लगे ।
शिक्षा: दोस्तों हमेशा अच्छा करें उसका फल अच्छा ही होगा।
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